दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 577, पितृ विसर्जन पर विशेष (2) - पितृ कल्प


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एपिसोड 577, पितृ विसर्जन पर विशेष (2) - हरिवंश, पितृकल्प। *पुत्र द्वारा अपने ही पिता को पुत्र सम्बोधित करना। दोनों को परस्पर एक दूसरे के पिता-पुत्र कहलाने के सिद्धान्त की ब्रह्माजी द्वारा स्थापना। *त एते पितरो देवा देवाश्च पितरस्तथा। अन्योन्यं पितरो ह्येते देवाश्च पितरश्च ह।। (जो देवता हैं, वे ही पितर हैं और जो पितर हैं वे ही देवता हैं। इस प्रकार ये देवता और पितर आपस में पिता और पूज्य हैं।) देवताओं ने पुत्रों को सम्बोधित करते हुये घोषणा किया कि "हम सब परस्पर पुत्र और पितर हैं"। (पुत्राश्च पितरं चैव वयं सर्वे परस्परम्।)
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati