*दक्ष की पुत्री सती के रूप में भगवती के जन्म लेने की भूमिका। * समस्त ऐश्वर्य और समस्त शक्तियां भगवती पराम्बा की ही हैं। * भगवान् विष्णु और शंकरजी के अभिमान के कारण गौरी और लक्ष्मी अन्तरधान हो गयीं। दोनों शक्तिहीन हो गये। तब ब्रह्माजी ही विष्णु और शंकर के भी दायित्व का निर्वहन करने लगे और दक्ष मनु तथा सनकादि को बुलाकर कहे कि तपस्या करके भगवती को प्रसन्न करो। उनके दीर्घकाल तक तपस्या करने पर भगवती ने दर्शन दिया।* "यद्यद्विभूतिमत्सत्वं श्रीमदूर्जितमेव वा। तत्तदेवावगच्छ त्वं पराशक्त्यंशसम्भवम्।। ----पञ्चब्रह्मासनारूढा नास्त्यन्या कापि देवता। तत एव महादेव्या पञ्चब्रह्मासनं कृतम्।। ....यदा चर्मवदाकाशं वेष्टयिष्यन्ति मानवाः।। तदा शिवामविज्ञाय दुःखस्यान्तो भविष्यति। * वेदान्त घोष ः- ...तन्निष्ठस्तत्परो भूयादिति वेदान्तडिण्डिमः। येनकेन मिषेणापि स्वपंस्तिष्ठन्व्रजन्नपि।।" कथा और व्याख्या आडियो प्ले करके सुनें ।