*सती के न रहने पर समस्त जगत् में अव्यवस्था हो गयी। इसके अतिरिक्त तारकासुर के तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे वरदान दिया कि शंकरजीके औरस पुत्र के अतिरिक्त किसी भी प्रकार से तुम्हारी मृत्यु नहीं होगी।तब विष्णु के परामर्श पर विष्णु और हिमालय सहित सभी देवताओं ने भगवती की आराधना किया और उनसे अवतार लेकर भगवान् शंकर की भार्या बनने का वरदान प्राप्त किया। यह वरदान पाकर उसी समय हिमालय ने भगवती से तत्वज्ञान और भगवती का स्वरूप जानने हेतु भी प्रार्थना किया और भगवती ने उन्हे ज्ञानोपदेश दिया। वह उपदेश नौ अध्यायों में है। वही देवीगीता है।