दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 592, गीतामुक्तावली 2/22-24


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(नोट - यह एपिसोड उडि़या बाबा की व्याख्या पर आधारित है। प्रवचन के बीच अनेक बार लम्बा व्यवधान आने के कारण इस क्लिप में कतिपय अशुद्धियां आ गयी हैं। जिनका परिहार करने का प्रयास किया गया है।)
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्
अन्यानि संयाति नवानि देही।।22।।
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।23।।
अच्छेद्योयमदाह्योयमक्लेद्योॅशोष्य एव च।
नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः।।24।।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati