अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत।
अव्यक्त निधनान्येव तत्र का परिदेवना।।28।।
आश्चर्यवत् पश्यति कश्चिदेनं
आश्चर्यवद्वदति तथैव चान्यः।
आश्चर्यवच्चैनमन्यः श्रृणोति
श्रुत्वाप्येनं वेद न चैव कश्चित्।।29।।
व्याख्या आडियो में सुनें। मुख्य विचार विन्दु :- *जो जन्मसे पहले भी नहीं था और मरणके बाद भी नहीं रहेगा, उसके लिये शोक क्यों?
*आत्मचर्चा और आत्मज्ञान आश्चर्य की बात क्यों?
*"आत्मज्ञान" किसे कहते हैं? क्या "आत्मज्ञान" शब्द वास्तव में बनता भी है?
व्याख्या सुनने के लिये आडियो प्ले करें।