दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 605, मानसमुक्तावली दो 112/3 से 114/1 - उमाके प्रथम प्रश्नका उत्तर (भाग2)


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*धन्य धन्य गिरिराज कुमारी।
तुम्ह समान नहिं कोउ उपकारी।।
*क्या यहां दो बार धन्य कहने का विशेष अर्थ है?
*किन दो बातों के लिये दो बार धन्य धन्य कहे? क्या भगवती उमाकी दो अभिलाषाओं के लिये - प्रथम, अज्ञानहरणकी और द्वितीय रामकथा सुनने की ? - "तौ प्रभु हरहु मोर अज्ञाना। कहि रघुनाथ कथा विधि नाना।।"
*और किसके उपकार की बात कर रहे हैं?
*भगवान् शङ्कर के वाक्य "रामकथा सुन्दर करतारी। संसय बिहग उडा़वनिहारी।।" की संगति भगवती उमा के किस कथन से है? प्रश्न में भगवती उमा ने कहा था - "...हरहु नाथ मम मति भ्रम भारी" और "भ्रमित बुद्धि अति मोरि"।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati