दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 608 मानसमुक्ता, बाल, दोहा 115/2-3


Listen Later

*"मुकुर मलिन अरु नयन बिहीना। रामरूप देखहिं किमि दीना।।"
*सामवेद, रामरहस्योपनिषद, रामतापनीयोपनिषद, मुक्तिकोपनिषद इत्यादि में रामतत्व।
*उक्त चौपाई में प्रयुक्त शब्द "दीन" बृहदारण्यक और भगवद्गीता में बताये गये "कृपण" शब्द का ही पर्याय है। *कृपण शब्द का औपनिषदिक अर्थ जानने के लिये पिछले एपिसोड 507 और 566 (भगवद्गीता अध्याय 2 श्लोक 7 की व्याख्या) सुनें।
*सगुण और निर्गुण में भेद नहीं है। निर्गुण से लीला नहीं हो सकती, अतः वह सगुण रूप धारण करता है। सगुण में भी उसका निर्गुणत्व बना रहता है।
*रामकी माया प्रबल है। यह ज्ञानियों को भी भ्रम में डाल देती है - "जो ज्ञानिहु कर चित अपहरई।बरियाई बिमोहबस करई।।" इसी को दुर्गासप्तशती में कहा है -
"ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।।"
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati