*ज्ञान और वैराग्य परस्पर जुडे़ हैं। आरम्भिक ज्ञान के उपरान्त वैराग्य होता है। वैराग्य होने के बाद पूर्ण ज्ञान होता है। इस प्रकार वैराग्य पहले होता है, ज्ञान बाद में।
*ज्ञानीको प्रारब्ध से भी वैराग्य हो जाता है।
* वस्तुतः बोध हो जाने पर यह समझ में आ जाता है कि प्रारब्ध नाम की कोई वस्तु नहीं।
*क्या उदासीनता मस्ती और वैराग्य ज्ञान होने के लक्षण हैं?
*त्याग, वैराग्य और उपरति में क्या भेद है?
*वैराग्य भी सात्विक राजस और तामस तीन प्रकार का होता है।
*योगदर्शन के अनुसार वैराग्य के भेद।
*वैराग्य के अन्य भेद।