एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई।
जदपि असत्य देत दुःख अहई।।
जौं सपने सिर काटै कोई।
बिनु जागें भय दूरि न होई।।
जासु कृपाँ अस भ्रम मिटि जाई।
गिरिजा सोइ कृपाल रघुराई।।
बिनु पद चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु करम करै बिधि नाना।।
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