श्रुतिविप्रतिपन्ना ते यदा स्थास्यति निश्चला।
समाधावचला बुद्धिधिस्तदा योगमवाप्स्यसि।।53।।
।।अर्जुन उवाच।।
स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव।
स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्।।54।।
#विशेष ध्यातव्य - हठयोग वाली समाधि और ज्ञानयोग वाली समाधि अलग अलग हैं। भगवद्गीता का वर्ण्य विषय ज्ञानयोग वाली समाधि है।
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