गृहस्थों का सदाचार और मोक्षधर्म -
विषयसूची -
*सभी कर्मों को वासुदेव के प्रति समर्पित करते हुये करें।
*जितना आवश्यक हो उतना ही घर और शरीर की सेवा करें।
*मनुष्यों का अधिकार केवल उतने धन पर है जितने से भूख मिट जाय।
*सम्पत्ति में से सन्तों और निर्बलों का भाग निकालने के उपरान्त अपने उपयोग में लायें।
*पञ्चयज्ञ से बचे हुये अन्न का भोजन करें।
*देवता, ऋषि, मनुष्य, पितर इत्यादि के रूप में परमेश्वर की ही आराधना होती है।
*ब्राह्मण को भोजन कराना सर्वोत्तम यज्ञ है।
*प्रयाग इत्यादि तीर्थों में जो धर्मकर्म किया जाता है वह अन्यत्र की अपेक्षा हजारगुना फलदाई होता है।
*भगवान् को पुरुष क्यों कहते हैं?
*भगवान् सर्वत्र समान रूप से व्याप्त हैं, तब विभिन्न शरीरों की प्रतिभा में भेद क्यों?
*प्रतिमापूजन त्रेतायुग में आरम्भ हुआ।