अजामिल के मुखसे केवल नाम निकला था , वह भी विना आशय के। बालि के समक्ष साक्षात् भगवान् उपस्थित थे। बालि ने कहा- *जनम जनम मुनि जतन कराहीं। अन्त राम कहि आवत नाहीं।। *"अन्ते मतिः सा गतिः" -जड़भरत का उदाहरण। भगवान् ने गीता में भी कहा है- *यं यं वापि स्मरन् भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम्। तन्तमेवेति कौन्तेय सदा तद्भावभावितः।।* भगवान् बालि पर भी उसकी इच्छा से अधिक कृपा किया।