*शंकरजी द्वारा जलंधरवध।*विष्णु का मोहभंग करने के लिये देवताओं द्वारा शंकरजी से प्रार्थना।*शंकरजी की शक्तियों द्वारा देवताओं को दिये गये बीजों से वृन्दा की चिताभूमि में मावती ,धात्री एवं तुलसी की उत्पत्ति।*तदुपरान्त विष्णुका मोहभंग। *तुलसी गणेशजी को छोड़कर सभी देवताओं को प्रिय हैं। *कार्तिक मास में तुलसी के पूजन का विशेष महत्व । * जलन्धर , वृन्दा और तुलसी से सम्बन्धित इस प्रकरण को पढ़ने सुनने का माहात्म्य। (नोट- यह उस तुलसी वनस्पति की कथा रही जो वृन्दा की चिताभूमि पर उत्पन्न हुयी। आगे दो एपीसोड में दूसरी तुलसी की कथा आयेगी जो धर्मध्वज की कन्या थी और बदरीवन में तपस्या कर रही थी जिससे ब्रह्माजी की आज्ञानुसार शंखचूड़ ने विवाह किया था और इसका भी शीलहरण भगवान् विष्णु ने छल से किया था। इसने भगवान् विष्णु को पाषाण होने का शाप दिया। शंकर जी के वरदान से इसका पार्थिव शरीर गण्डकी नदी के रूप में परिवर्तित हो गया इसकी चेतना तुलसी बृक्ष के रूप में पूजित हुयी।)