"मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।30।।"
*समस्त कर्मों को भगवान् को अर्पित करते हुये करें। अन्यत्र भी कहा है -
"मनसा चिन्तितं यन्मे वाचसा भाषितं पुनः।
कायेन यत्कृतं कर्म तत्सरं ब्रह्मार्पणं भवेत्।।"
"यद् यद् कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्।"
*निराशीः का अर्थ।
*मम और निर्मम का अर्थ।
*ज्वर और विगतज्वर का अर्थ।
*श्लोक 30 में बताई विधि के पालन का फल।
*श्लोक 30 में बताई विधि में विश्वास न करने का फल।