एपिसोड 648. भगवद्गीता,3/33
शंका होगी कि वेदशास्त्र भगवान् की आज्ञा हैं और भगवान् सर्वसमर्थ हैं तो प्राणियों से अपनी आज्ञा का पालन क्यों नहीं करा पाते? जिस परमात्मा के भय से सूर्य चन्द्र वायु आदि सारे ग्रहनक्षत्र और देवता अपने अपने कार्य में तत्पर रहते हैं, उससे साधारण मनुष्य क्यों नहीं डरते ? इसके उत्तर में कहते हैं -
सदृशं चेष्टते स्वस्याः प्रकृतेर्ज्ञानवानपि।
प्रकृतिं यान्ति भूतानि निग्रहः किं करिष्यति।।33।।
धृतराष्ट्र को भी भगवान् के बार बार समझाया किन्तु उसने कहा -
"जानामि धर्मं न च मे प्रवृत्तिः
जानाम्यधर्मं न च मे निवृत्ति।
केनापि देवेन हृदिस्थितेन
यथा नियुक्तोस्मि तथा करोमि।।"