* अवतार और जन्म में अन्तर भगवान् के जन्म (अवतार) और कर्म मनुष्यों की भांति लौकिक नहीं , अपितु दिव्य होते हैं।
* भगवान् के अवतार का कारण और प्रयोजन।
* जो अवतार के देह के रहस्य को , अवतार के कारण को और अवतार के प्रयोजन को जान लेता है वह कर्मबन्धन से मुक्त होकर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।