दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 676 भगवद्गीता, अध्याय4, श्लोक 6 से 9


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* अवतार और जन्म में अन्तर भगवान् के जन्म (अवतार) और कर्म मनुष्यों की भांति लौकिक नहीं , अपितु दिव्य होते हैं।
* भगवान् के अवतार का कारण और प्रयोजन।
* जो अवतार के देह के रहस्य को , अवतार के कारण को और अवतार के प्रयोजन को जान लेता है वह कर्मबन्धन से मुक्त होकर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati