दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 677. भगवद्गीता,अध्याय4,श्लोक 10,11,12


Listen Later

* जो रागरहित, भयरहित और क्रोधरहित तथा भगवान् में तल्लीन और भगवान् के आश्रित है तथा जो ज्ञानरूपी तप से पवित्र हो चुके हैं वे भगवान् ही हो जाते हैं।
* राग ही मुख्य बाधा है। इसीसे भय और क्रोध की उत्पत्ति होती है। जिसमें राग होता है उसके खोने अथवा छिनने का भय होता है और जिसके द्वारा छिनने का भय होता है उस पर क्रोध होता है।
* भगवान् किसी को भक्ति और किसी को ज्ञान और मुमुक्षा क्यों देते हैं? उत्तर - जो जिस भाव से उपासना करता है, भगवान् भी उसको उसी भाव से स्मरण करते हैं। जो भक्तिके आनन्द में मग्न है और मोक्ष चाहता ही नहीं उसको भगवान् मोक्ष नहीं देते - "सगुनोपासक मोक्ष न लेहीं। तिन्ह कहँ राम भगति निज देहीं।।"
* देवताओं की सकाम उपासना मोक्ष में बाधक है। देवता शीघ्र फल देते हैं किन्तु अपने उपासकों को अपने अधीन बनाये रखते हैं। देवता कभी नहीं चाहेंगे कि उनका अधीनस्थ उनसे ऊंचा पद प्राप्त कर ले। तब देवता मनुष्य को परमपद की ओर क्यों बढ़ने देंगे ?
...more
View all episodesView all episodes
Download on the App Store

दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati