*सोम= चन्द्रमा। सोमनाथ = चन्द्रमा के स्वामी, चन्द्रमा द्वारा विशेषरूप से पूजित।
* चन्द्रमा अपने श्वसुर दक्षके शाप से क्षयरोग से ग्रस्त हो गये। तब देवताओं की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने उपाय बताया कि प्रभास तीर्थ में शिवजी की आराधना करो।
चन्द्रमाने छः मास तक मृत्युञ्जय मन्त्र का जप करते हुये शिवजी की आराधना किया। आराधना से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुये और चन्द्रमा का आंशिक शापमोचन करते हुये कहे कि क्रमसे मास के पन्द्रह दिन तक प्रतिदिन तुम्हारी एक एक कला बढे़गी और अगले पन्द्रह दिन तक प्रतिदिन एक- एक कला क्षीण होगी। और पुनः उसी क्रमसे बढे़गी।
*सोमनाथ के आराधन पूजन और वहां स्थित चन्द्रकुण्ड में निरन्तर छः मास तक स्नान का विशेष फल यह है कि क्षयरोग और कुष्ठरोग नष्ट होते हैं। अन्य मनोकामनों की पूर्ति होना भी सोमनाथ तीर्थका सामान्य फल है।