दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 700. प्रणवमीमांसा - पातञ्जल योगसूत्र एवं श्रीशिव महापुराण।


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।।तस्य वाचकः प्रणवः।। तज्जपस्तदर्थभावनम्।।
* प्रणव के अर्थ को जान लेना ही शिवको जानना है।
*प्रणव ही ब्रह्मा से लेकर तृणपर्यंत समस्त प्राणियों का प्राण है, इसीलिये इसको प्रणव कहते हैं।
* प्रणव शिव का निवास भी है और प्रणव ही स्वयं शिव भी है।
* शंकरजी काशी में देह छोड़ने वाले जीव को इसी प्रणव का उपदेश देकर मुक्ति प्रदान करते हैं।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati