1. भक्ति क्या है?
राधासुधा में करपात्रीजी महाराज भक्तिरसायन उद्धृत करते हुये कहते हैं -
"द्रुतस्य भगवद्धर्माद् धारावाहिकतां गता।
सर्वेषे मनसो वृत्तिर्भक्तिरित्यभिधीयते।।"
श्रीमद्भागवत में भगवान् स्वयं कहते है-
मद्गुण श्रुतिमात्रेण मयि सर्वं गुहाशये।
मनोगतिरविच्छिन्ना यथागङ्गाम्भसोऽम्बुधौ।।
भक्तिसुख में भोग और मोक्ष दोनों की इच्छा बाधक है। "सगुनोपासक मोक्ष न लेहीं।
तिन्ह कहँ राम भगति निज देहीं।।"
व्याख्या सुनने के लिये आडियो प्ले करें ।