एपिसोड 715. भागवतसुधा 7. गृहस्थोंका मोक्षमार्ग :-
विषयसूची-
*देवकार्य में दो और पितृकार्यमें तीन ब्राह्मणों को भोजन करायें, इससे अधिक नहीं (भाग.7.15.3-4, मनु 3.125-126)।
*अतिथि का सत्कार न होने पर वह सारा पुण्य ले लेता है (मनु 3.100)।
यदि दरिद्रता के कारण नित्य अतिथिसत्कार में असमर्थ हों तो स्वाध्याय करें (मनु 3.75)
*पांच प्रकार की हिंसा और उसके शमन के लिये पांच प्रकार के नित्ययज्ञ (मनु 3.68-70)।
*अधर्म की पांच शाखायें - विधर्म,परधर्म,आभास, उपमा (उपधर्म), और छल अर्थात् शास्त्र की मनमानी व्याख्या (भाग.7.15.12-14)
*लोभ सबसे बडा़ शत्रु। क्रोध इत्यादि दोष अपने कार्य करके शान्त हो जाते हैं किन्तु लोभ कभी शान्त नहीं होता।
*गुरु भगवान् ही होते हैं, गुरुको मनुष्य न मानें (भाग.7.15.26-27.)
*शास्त्रों में जितने भी नियम सम्बन्धी आदेश हैं, उनका तात्पर्य यही है कि पांचों इन्द्रियां और मन वश में हो जायँ।