दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 717 भागवतसुधा(9),गृहस्थों का मोक्षमार्ग(4)


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एपिसोड 717. भागवतसुधा 9. गृहस्थों का मोक्षमार्ग 4.
*विषयसूची* -
*अद्वैत के प्रकार - आत्माका त्रिविध अद्वैत - *भावाद्वैत , क्रियाद्वैत और द्रव्याद्वैत*।
(ध्यातव्य - यहां आत्मा के त्रिविध अद्वैत की चर्चा है। दर्शनशास्त्र की शाखाओं - अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, केवलाद्वैत, द्वैताद्वैत , शुद्धाद्वैत की नहीं।)
*गृहस्थ भी परमपद की प्राप्ति कर सकता है किन्तु केवल स्वकर्म का पालन करते हुये,अन्य प्रकार से नहीं। भगवद्गीता में भी कहा है - स्वकर्मणा तमभ्यर्चन् सिद्धिं विन्दति मानवः।
*कर्ममार्ग से मोक्ष प्राप्त करने के लिये तीन शर्तों का पालन होना चाहिये -
1. स्वकर्म अर्थात् वही कर्म जो आपके लिये शास्त्रानुसार नियत है।
2. वह कर्म निष्काम भाव से किया जाय।
3. वह कर्म भगवान् को अर्पित करते रहें। विना भगवदर्पण के निष्कामता भी पर्याप्त नहीं।
*नारद जी के पूर्वजन्मों का वृत्तान्त। सन्तों की सेवा और उपेक्षा का फल।
एपिसोड 717. भागवतसुधा 9. गृहस्थों का मोक्षमार्ग 4.
*विषयसूची* -
*अद्वैत के प्रकार - आत्माका त्रिविध अद्वैत - *भावाद्वैत , क्रियाद्वैत और द्रव्याद्वैत*।
(ध्यातव्य - यहां आत्मा के त्रिविध अद्वैत की चर्चा है। दर्शनशास्त्र की शाखाओं - अद्वैत, विशिष्टाद्वैत, केवलाद्वैत, द्वैताद्वैत , शुद्धाद्वैत की नहीं।)
*गृहस्थ भी परमपद की प्राप्ति कर सकता है किन्तु केवल स्वकर्म का पालन करते हुये,अन्य प्रकार से नहीं। भगवद्गीता में भी कहा है - स्वकर्मणा तमभ्यर्चन् सिद्धिं विन्दति मानवः।
*कर्ममार्ग से मोक्ष प्राप्त करने के लिये तीन शर्तों का पालन होना चाहिये -
1. स्वकर्म अर्थात् वही कर्म जो आपके लिये शास्त्रानुसार नियत है।
2. वह कर्म निष्काम भाव से किया जाय।
3. वह कर्म भगवान् को अर्पित करते रहें। विना भगवदर्पण के निष्कामता भी पर्याप्त नहीं।
*नारद जी के पूर्वजन्मों का वृत्तान्त। सन्तों की सेवा और उपेक्षा का फल।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati