दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 718. भागवतसुधा 10. गृहस्थों का मोक्षमार्ग 5


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एपिसोड 718. भागवतसुधा 10. गृहस्थों का मोक्षमार्ग 5.
विषयसूची -
1. *भजनक्रिया*
आदौ श्रद्धा ततः साधुसंगोऽथ भजक्रिया।
ततोऽनर्थ निवृत्तिः स्यात्ततो निष्ठा रुचिस्ततः।।
अथासक्तिस्ततो भावस्ततः प्रेमाभ्युदञ्चति।
साधकानामयं प्रेम्णः प्रादुर्भावे भवेत्क्रमः।।
धन्यस्यायं नवः प्रेमा यस्योन्मीलति चेतसि।
अन्तर्वाणिभिरप्यस्य मुद्रा सुष्ठु सुदुर्गमा।।
2. अपक्व भक्ति से ही परिपक्व भक्ति बनती है।
3. रज और तम क्षीण होकर जब सत्व की प्रधानता हो जाती है तब अन्तःकरण पवित्र और प्रसन्न होता है। और पवित्र अन्तःकरण वालेको ही भगवत्तत्व ठीक समझ में आता है।
4. *विरक्त कौन* ?
"रमा विलासु राम अनुरागी।
तजत वमन इव नर बड़भागी।।
5. *वैराज्ञ किसे कहते हैं* ?
योगसूत्र में कहा है -
"दृष्टानुश्रविकविषयवितृष्णस्य वशीकार संज्ञा वैराज्ञम्।"
6. वैराज्ञ होने तक कर्म करना अनिवार्य है ।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati