गुरु से मन्त्र ग्रहण करने के लिये मार्गशीर्ष क्यों उत्तम है ?
क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता, दशम अध्याय में स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण ने इसे सर्वोत्तम मास कहते हुये कहा है कि मासोंमें मैं मार्गशीर्ष हूँ - "*मासानां मार्गशीर्षोऽहं* ऋतूनां कुसुमाकरः"।।
श्रीकृष्ण जगद्गुरु हैं- "कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।" वह साक्षात् नारायण हैं। नारायण आदिगुरु हैं। नारायण से ही गुरुपरम्परा आरम्भ होती है - "नारायणं पद्मभुवं वसिष्ठं ... ."।
स्कन्दपुराण में ब्रह्मा जी द्वारा जिज्ञासा करने पर भगवान् कहते हैं -
"सर्वयज्ञेसु यत्पुण्यं सर्वतीर्थेषु यत्फलम्।
तत्फलं समवाप्नोति मार्गशीर्षे कृते सुत।।......