एपिसोड 725. सपठित एपिसोड 98 (पातञ्जल योगसूत्र 1.5 का पूरक)
*विषयसूची* -
*येन त्यजसि तत्त्यज का अर्थ।
*मन का स्वरूप - न्यायशास्त्र के अनुसार, मन नौ द्रव्यों में से एक द्रव्य है जो सुख-दुःख इत्यादि की उपलब्धि का साधन है। वे नौ द्रव्य हैं - पृथिवी, जल, तेज, वायु ,आकाश, काल, दिक्, आत्मा और मन। इसमें मन की परिभाषा है- "सुखाद्युपलब्धिसाधनमिन्द्रियं मनः। तच्च प्रत्यात्मनियतत्वादनन्तं परमाणुरूपं नित्यञ्च।"
*चरकसंहिता के अनुसार मन का स्वरूप।
* 'येन त्यजसि तत्त्यज" में पातञ्जल योगदर्शन, चरकसंहिता, तर्कसंग्रहः, योगवासिष्ठ महारामायण, संन्यासोपनिषद और महाभारत की संगति।
*अन्तःकरण चतुष्ट्य - मन, बुद्धि, चित्त अहंकार की संनष्लिष्टता।