एपिसोड 728.
भगवद्गीता 4.21 नोट- श्लोक 21 से 24 विशेषतः संन्यासियों के लिये है।
निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्त सर्वपरिग्रहः।
शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्।। 21।। ध्यातव्य -
व्याख्या में भगवद्गीताकी शंकरानन्दी टीका और श्रीमद्भागवत ग्यारहवें स्कन्ध में भगवान् के वचन का उल्लेख करते हुये कहा है कि - संन्यासी यमों का पालन करे किन्तु नियमों का त्याग कर दे। ध्यातव्य है कि यहां नियमों से तात्पर्य है - कर्मकाण्ड सम्बन्धी नियम। पातञ्जलयोगसूत्र में जो नियम की परिभाषा है उसके अनुसार नियमों का त्याग कहना अनर्थकारी हो जायेगा।