एपिसोड 736. सदाचार शतकम्- 12. षोडश संस्कार
विषयसूची -
1. संस्कारों की कुल संख्या 48 या अल्प मतान्तर से 40 है जिसमें 16 प्रमुख हैं।
2. सोलह संस्कारों के नाम।
3.आरम्भ के नौ संस्कार चारों वर्णों के और स्त्री पुरुष सभी के होते हैं। किन्तु स्त्रियों और शूद्रों के मन्त्ररहित होते हैं।
4. उक्त सोलह में से क्रमांक 10 से 13 तक के संस्कार (यज्ञोपवीत से समावर्तन तक) केवल त्रैवर्णिक पुरुषों का होता है।
* उपनयन संस्कार के विना ओंकार, गायत्री अथवा अन्य किसी वैदिक मन्त्र के जप या स्वाहा, स्वधा, वषट्कार इत्यादि के उच्चारण का अधिकार नहीं।   स्त्री शूद्र और विना यज्ञोपवीत वाले त्रैवर्णिक पूजा पाठ में मन्त्रका प्रयोग किये विना देवताओं को केवल नमस्कार कर सकते हैं। जैसे "श्री गणेशाय नमः" "शिवाय नमः"। इसमें ॐ नहीं लगा सकते।
*14वां संस्कार -  विवाह सभी वर्णों का होता है।शूद्र का विवाह संस्कार भी मन्त्ररहित होता है।
*त्रैवर्णिक कन्या का विवाहसंस्कार मन्त्रसहित ही होता है, क्योंकि वह वर के साथ संयुक्त है।।
*विवाह समान वर्ण में ही होना चाहिये,  न अपने से उत्तम के साथ न अधम के साथ -  "विवाहःसदृशैस्तेषां नोत्तमैर्नाधमैस्तथा" - अग्नि,151/13.
*प्रश्न -  शूद्र कन्या से कोई त्रैवर्णिक विवाह करे तो मन्त्ररहित होगा या मन्त्रसहित ? उत्तर - शूद्रा से त्रैवर्णिक का विवाह निन्द्य है। विवाह का संस्कार स्त्रीपुरुष के लिये संयुक्त होता है।अतः ऐसा विवाह विना मन्त्र के ही हो सकता है।
प्रश्न - सवर्ण, अनुलोम और प्रतिलोम सम्बन्ध क्या हैं ? उत्तर - अपने वर्ण में विवाह करना सवर्ण सम्बन्ध है।अपने से नीचे वाले वर्ण की कन्या से विवाह करना अनुलोम सम्बन्ध है। अपने से ऊपर के वर्ण वाली कन्या से सम्बन्ध करना प्रतिलोम सम्बन्ध है जो निषिद्ध है, अतः इसे विवाह नहीं कह सकते। इसमें मन्त्ररहित अथवा मन्त्रसहित का प्रश्न ही नहीं बनता।