दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

एपिसोड 89. मानस, बाल, 34 एवं 35.1-5 रचना का शुभारम्भ


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सादर सिवहिं नाइ अब माथा। बरनौं बिमल रामगुन गाथा।। संवत सोरह सै इकतीसा। करौं कथा हरिपद धरि सीसा।। नौमी भौमवार मधुमासा। अवधपुरीं यह चरित प्रकासा।। जेहि दिन राम जनम श्रुति गावहिं। तीरथ सकल तहां चलि आवहिं।।....
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati