शून्य की आराधना करने वाला , अज्ञान से मुक्ति होती है ऐसे सिद्धांत को मानने वाला एक संप्रदाय भगवान महावीर और गौतम बुद्ध के समकालीन हुआ जिसके नेता के रूप में मख्खलि गोशाल हुए जिन्होंने आठ चरम बतलाए ये चरम तत्व थे- ‘1. चरम पान 2. चरम गीत 3. चरम नृत्य 4. चरम अंजलि (अंजली चम्म-हाथ जोड़कर अभिवादन करना) 5. चरम पुष्कल-संवर्त्त महामेघ 6. चरम संचनक गंधहस्ती 7. चरम महाशिला कंटक महासंग्राम 8. मैं इस महासर्पिणी काल के 24 तीर्थंकरों में चरम तीर्थंकर के रूप में प्रसिद्ध होऊंगा यानी सब दुःखों का अंत करूंगा।ये आठवाँ चरम पानाक् ही उनके जीवन का लक्ष्य था । किंतु उन्होंने सातवी रात्रि मृत्यु का वरण किया । पंडित कैलाश चंद्र जी लिखित जैन धर्म की पुस्तकों में गोशाल का विस्तृत वर्णन है। जैन और बौद्ध ग्रंथों में उनका उल्लेख मिलता ही रहता है।