अपने निमित्त ज्ञान से श्रुत केवली महामुनी गोवर्धन आचार्य जी ने 7 वर्ष के नन्हे बालक भद्रबाहु के आंगोपांग को देखकर यह जान लिया कि भविष्य में यह बालक अंतिम श्रुतकेवली होगा । उस 7 वर्ष के नन्हे बालक को माता-पिता से लेकर गोवर्धन आचार्य जी ने संपूर्ण श्रुतज्ञान की शिक्षा दी आगे चलकर यही नन्हा बालक अंतिम श्रुतकेवली बना ।
श्री भद्रबाहु आचार्य विरचित भद्रबाहु संहिता एवं सामुद्रिक करलेखन तथा रत्न कीर्ति गुरुदेव द्वारा रचित भद्रबाहु चरित्र आचार्य भद्रबाहु को पूर्णरूपेण जानने का एक उत्तम प्रयास होगा ।
उन्हीं गुरु भद्रबाहु को समर्पित आज का यह एपिसोड
"अष्टांग महा निमित्त ज्ञानी आचार्य भद्रबाहु"
in "RELIGIOUS YATRI
by
NIDHHI S JAINN
SHILPA P KASLIWAL