तुम्हारी चहेती नीली कमीज"
आज सुबह जब मैंने अपनी लकड़ी की अलमारी खोली, तो एक दम से मेरी नज़र तुम्हारी चहेती नीली कमीज पर जा गिरी।
फिर लगा शायद माँ उसे धोना भूल गई है।
एकदम से मेरा हाथ उसकी और बढ़ा और जल्दी से मैंने उसे अपनी हथेली में सिमट लिया ।
फिर सोचा कि माँ से कह दूँ की इसको वाशिंग मशीन के "डेलिकेट" मोड में धो दें, लेकिन एक दम से एक अजब-सी महक महसूस हुई और मेरे मनको समझ आया की ये महक बिलकुल तुम्हारी खुशबू से मिलती जुलती है।
न जाने क्यों मैं खुदको रोक ना पाया और अपनी शर्ट के कालर को जल्दी में टटोला तो देखा तुम्हारी लिपस्टिक के वह हलके से लाल रंग के निशाँ अभी वहीँ पर थे, मानो ऐसा लगा तुम अभी भी मेरे कानो के पास अपने मन की बात फूस फूसा रही हो।
मैं तुम्हे वहीँ कहीं अपने आस पास महसूस कर ही रहा था तो मेरी नज़र कमीज के आस्तीन पर पड़ी सिलवटों पर जा गिरी|
तो याद आया, किस तर्हाँ स्पीड ब्रेकर के आने पर तुम गाढ़ी में घबरा कर एक दम से मेरी बाज़ू को अपने हाथों से दबोच लिया करती थी और मेरे मन को ऐसा एहसास होता था ,जैसे तुमने उस लम्हे में मुझे अपनी बाहों में समेट-सा लिया था।
जब तक मैं इस लम्हे को महसूस कर ही रहा था तो देखा कमीज का सबसे पहला बटन टूटा हुआ था , मैंने सोचा दर्ज़ी को जाकर उसे सीने को देदूं |
मगर नहीं तभी मेरे छोटे से दिमाग ने मेरे दिल को याद दिलाया कैसे जब एक दिन मैं घर देरी से आया था और ना जाने घंटो तक मेरा फ़ोन बंद था तो "घबरा कर तुमने मुझे अपनी और खींचा और मुझसे लिपट कर रोने लगी थी "
हाँ मैं उस समय डर गया था पर मेरे लिए तुम्हारी उस तड़प को देखना बिलकुल वैसा था जैसे मैंने एक लम्हे में पूरी दुनिया जीत ली हो
बस इस सब के बाद मैं रुक-सा गया, उस कमीज को वापस अलमारी में रख दिया, ताकि जब-जब तुम मझसे रूठ जाओ या कुछ पल या लम्हों के लिए भूल भी जाओ तो मैं उसको चुपके से देख कर तुम्हे याद कर लिया करूँगा।
और अगर तुम मझसे बीच राह में बिछड़ जाओ , उस कमीज को मैं अपनी ज़िन्दगी का सबसे नायाब और पाक हिस्सा बनाकर अपने ताबूत तक साथ लिए जाऊंगा |
हाँ वो तम्हारी चहेती नीली कमीज आज भी वैसे ही मेरी अलमारी के उस कोने में तुम्हारी यादों के साथ कहीं सिमट कर सजी है।