दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

Episode 108. पातञ्जल योग- स्वप्न क्या है? (भाग 2)- वेदान्तदृष्टि।


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मानवजीवन का न्यूनतम एक चौथाई समय स्वप्नमें बीतता है। दिवास्वप्न अर्थात् जाग्रत की निरर्थक कल्पनाओं को भी इसमें जोड़ लें तो एक तिहाई से अधिक हो जायेगा। स्वप्नमें जाग्रत की अनुभूति नहीं होती , जाग्रतमें कुछ स्वप्नोंका स्मरण होता है। यद्यपि स्वप्न जाग्रतके संस्कारों पर ही आधारित होता है। जाग्रतका अभिमानी स्वप्नाभिमानी में लीन हो जाता है।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati