इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)

Episode 46 - तुम्हारी खुशी के लिए


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तुम इठला कर मेरी ओर बढ़ती हो। तुम अपनी तारीफ़ सुनना चाहती हो। मैं मुंह फेर लेना चाहता हूं। तुम संगीत धीमा करके मेरे क़रीब आती जा रही हो। मैं पशोपेश में हूं कि क्या करूं कि तुम मेरे क़रीब न आओ। मैं तुम्हारे साथ, अकेला रहना चाहता हूं।
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इसे तुम कविता नहीं कह सकते (#poetry)By Lokesh Gulyani