विद्यालय हमें शिक्षा का आशीर्वाद दे कर इस लायक बनाता है कि हम जीवन में कुछ कर सकें। अगर वह विद्यालय स्वयं ही अस्तित्व में न रहे, तो क्या? जो वहाँ से पढ़े हैं, क्या उनकी अगली पीढ़ी उसके अस्तित्व को वापस लाने के लिए उत्तरदायी होगी? जानिए एक ऐसे ही विद्यालय और उसके अस्तित्व के लिए प्रयत्न करते एक व्यक्ति के बारे में, पथिक के इस अंक में।
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