*नियतकर्म का अर्थ। *नित्यकर्म का अर्थ।*हिंसा के पांच स्थान अथवा पांच पाप जो गृहस्थ से न चाहते हुये भी हो जाते हैं।*इन पांच पापों के प्रायश्चित्त के लिये पांच यज्ञ जो गृहस्थ को अनिवार्यतः करने चाहिये।*"कर्मणा बध्यते जन्तुः" , किन्तु कौन से कर्म बन्धन में डालते हैं? *यज्ञार्थ कर्म का अर्थ।*यज्ञार्थ कर्म फलासक्ति से रहित होकर करें।