जिनके लिये जो कर्म निर्धारित है, उसे अवश्य करना चाहिये। जिनको यज्ञ करने का अधिकार है, उन्हे यज्ञ अवश्य करना चाहिये। अन्यथा उनका जीवन पापमय और व्यर्थ है। इसके अपवाद केवल ब्रह्मनिष्ठ संन्यासी हैं।
जिनके लिये जो कर्म निर्धारित है, उसे अवश्य करना चाहिये। जिनको यज्ञ करने का अधिकार है, उन्हे यज्ञ अवश्य करना चाहिये। अन्यथा उनका जीवन पापमय और व्यर्थ है। इसके अपवाद केवल ब्रह्मनिष्ठ संन्यासी हैं।