दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वती

Episode 722 श्रीभागवतसुधा 14 सूतजी जाति से सूत नहीं, ब्राह्मण थे


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एपिसोड 722. भागवतसुधा 14. पुराणप्रवक्ता सूतजी जाति से सूत नहीं, ब्राह्मण थे।
(साभार, श्रीभागवतसुधा, धर्मसम्राट करपात्रीजी और पुराणविमर्श, आचार्य बलदेव उपाध्याय)
*सूत दो प्रकार के। एक - क्षत्रिय पुरुष से ब्राह्मणी स्त्री में उत्पन्न संतान जिनको धर्मशास्त्र के अनुसार सूत कहा जाता है, और दूसरे- यज्ञकुण्ड से उत्पन्न सूतजी। इन दूसरे सूतजीमें भी सांकर्य था किन्तु हवि का। बृहस्पति और इन्द्र की हवियों का मिश्रण हो गया था। इसलिये सूत कहा गया। ब्राह्मणों ने इनमें ब्राह्मणत्व का आधान कर पुराणेतिहास की कथा के लिये प्रेरित किया।
* जो जाति से सूत होते थे उनके लिये अश्वपालन और रथ हांकने का कार्य नियत था। वे राजाओं की वंशावली के ज्ञाता होते थे जो कि पुराणों का अभिन्न अङ्ग है। इस कारण से भी पुराणप्रवक्ता रोमहर्षण जी को लक्षणया सूत कहा जाने लगा और सूत व्यक्ति एवं सूत जाति में भ्रम हो गया।
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दण्डी स्वामी सदाशिव ब्रह्मेन्द्रानन्द सरस्वतीBy Sadashiva Brahmendranand Saraswati