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महादेव को प्रसन्न करने के लिए भगीरथ ने पैर के अंगूठों पर खड़े होकर एक वर्ष तक कठोर तपस्या की। महादेव ने प्रसन्न होकर भगीरथ को वरदान दिया और गंगा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया । लेकिनगंगा को अपने वेग पर बड़ा अभिमान था। गंगा का सोचना था कि उनके वेग से शिव पाताल में पहुँच जायेंगे। शिव को जब इस बात का पता चला तो उन्होने गंगा को अपनी जटाओं में ऐसे समा लिया कि उन्हें वर्षों तक शिव-जटाओं से निकलने का मार्ग नहीं मिला।
महादेव को प्रसन्न करने के लिए भगीरथ ने पैर के अंगूठों पर खड़े होकर एक वर्ष तक कठोर तपस्या की। महादेव ने प्रसन्न होकर भगीरथ को वरदान दिया और गंगा को अपने मस्तक पर धारण कर लिया । लेकिनगंगा को अपने वेग पर बड़ा अभिमान था। गंगा का सोचना था कि उनके वेग से शिव पाताल में पहुँच जायेंगे। शिव को जब इस बात का पता चला तो उन्होने गंगा को अपनी जटाओं में ऐसे समा लिया कि उन्हें वर्षों तक शिव-जटाओं से निकलने का मार्ग नहीं मिला।