गायत्री (देवी माता का मौलिक पहलू) का अर्थ है सत्व (शुद्धता), रजस (गतिविधि) और तमस (जड़ता) के तीन गुणों (राज्यों) से परे जाना और पार करना। श्री श्री रविशंकर गायत्री मंत्र की व्यावहारिक समझ और अनुप्रयोग देते हैं।
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