Gandhodak Application Mantra गंधोदक लेपन मन्त्र ★
गंधोदक भगवान् के अभिषेक से प्राप्त सुगन्धित पवित्र जल है ! गंधोदक स्वयं निर्मल (पवित्र) है औरों को भी निर्मल (पवित्र) करते है। जब यह जल जिन प्रतिमा पर अभिषिक्त होता है, तब मूर्ती के चारों ओर प्रवाहित होने वाला ‘‘सूर्यमन्त्र’’ का तेज-ऊर्जा उससे यह जल भी संस्कारित (चार्ज) होकर असाध्य रोगों को दूर करने में समर्थ हो जाता है। हाथ को धोकर चम्मच अथवा कन्नी अंगुली को छोड़कर अगली दो अँगुलियों से थोड़ा सा गंधोदक लेकर मस्तक, नेत्र, कंठ एवं हृदय पर धारण करे ! गंधोदक लेते समय निम्न मंत्र बोले ★ "निर्मलं निर्मले करणं, पवित्रं पापनाशनम् !
जिन गन्धोदकम् बंदे अष्ट कर्म विनाशनम्' !! ★ अर्थात यह निर्मल है, निर्मल करने वाला है, पवित्र है और पापों को नष्ट करने वाला है, ऐसे जिन गंधोदक कि मै वंदना करता हूँ, यह मनुष्य के अष्टकर्मों का नाशक है! गंधोदक अत्यंत महिमावान है! गंधोदक लेते समय ध्यान रखने योग्य विशेष बात है- अंगुली से एक बार गंधोदक कटोरे में से लेने के बाद पुन: वही अंगुली पुनः गंधोदक लेने के लिए, बिना धोये, गंधोदक के कटोरे में डालना अनुचित है क्योकि शरीर का स्पर्श करने से वे अशुद्ध हो जाती है!