उर्दू फ़ारसी के मशहूर भारतीय शायर मिर्जा असदुल्ला बेग खां "गालिब" की बेहतरीन नज़्म है- "हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले"। गालिब साहब की ग़ज़लों की ही तरह उनके खतों और उनके किस्सों को भी उतना ही प्यार मिला है पढ़ने- सुनने वालों का। मेरी ये कोशिश रहेगी कि इस सीरीज के जरिये मैं भी अपने दर्शकों का अपने सुनने वालों का आशीर्वाद पा सकूँ।