Poet Pankaj Show

Ha Maine maut ko karib se dekha hai


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हां मैंने मौत को करीब से देखा है।
जो कहते थे नाज है। हमें अपनी हस्ती पर उनकी हस्ती को मिटते मैंने देखा है।
मासूमों के सिर से मां बाप के साए को उठते मैंने देखा है।
कई सुहागिनों को विधवा होते मैंने देखा है।
हां साहब मैंने मौत को करीब से देखा है।
जो कहते थे।खरीद लेंगे इस दुनिया को
उनको एक -एक सांस की भीख मांगते मैंने देखा है।
शमशान के आगे लगी लंबी-लंबी कतारों को मैंने देखा है।
और कुछ कपटी नेताओं को लाशों पर राजनीति करते मैंने देखा है।
हां साहब मैंने मौत को करीब से देखा है ।
जो कहते थे। दिल्ली के मालिक हम है।
उन नेताओं को अपने कर्तव्यों से भागते मैंने देखा है।
और कुछ गिद्धों को दवाइयों और ऑक्सीजन की कालाबाजारी करते मैंने देखा है ।
अस्पतालों के बाहर नो बेड नो ऑक्सीजन का बोर्ड मैंने देखा है।
हां साहब मैंने मौत को करीब से देखा है।
निडर डॉक्टर और नर्सों को मरीजों की सांसे बचाते मैंने देखा है।
अपनों से बिछड़ने का गम क्या होता है।
इस कोरोना काल में मैंने देखा है ।
कई जिंदगियों को खत्म होते मैंने देखा है ।
हां साहब मैंने मौत को करीब से देखा है।
हां साहब मैंने मौत को करीब से देखा है।
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Poet Pankaj ShowBy pankaj jain