कविवर बच्चन जी की एक दिल को छू लेने वाली कविता जो अनेक उदाहरणों द्वारा हमें यह बताती है कि कोई अपना प्रिय जब हमसे बिछड़ जाता है तो उसकी जगह तो कोई भी दूसरा नहीं ले पाता है किन्तु उसकी याद को मन में संजोकर रखते हुए भी अपना जीवन मुस्कराकर जीना सीखना चाहिए। अमावस्या की रात के अन्धकार को दूर करने के लिए हम चाँद को तो जमीन पर नहीं ला सकते हैं परंतु अपनी कुटिया में एक छोटा सा दीपक जलाकर हम अपने हिस्से में कुछ रोशनी तो ला ही सकते हैं न !!