Gaagar Me Saagar

हिंदी कविता: आजकल मैं मन का करती हूँ


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जीवन की तीसरी अवस्था में जब हम अपनी जिम्मेदारियों से निश्चिन्त हो जाते है तब स्वयं की ओर लौटने की प्रेरणा देती, अपने मन को परिंदा बनाके अपनी छोटी छोटी ख्वाहिशों को भरपूर जी लेने की तमन्ना जगाती, स्वयं को स्वयं से मिलाती, अपने मन का कर लेने को उकसाती एक लाजवाब छोटी सी कविता।
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Gaagar Me SaagarBy Bandana Modi