केन्द्रीय विद्यालय दक्षिण कमान पुस्तकालय पुणे

हिन्दी पखवाड़ा अन्तर्गत एक पुस्तक की आत्मकथा


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हिन्दी पखवाड़ा अन्तर्गत एक पुस्तक की आत्मकथा

               मैं अपना परिचय कुछ इस प्रकार देना चाहूंगी – मैं ज्ञान का भंडार हूं, मुझमें ज्ञान का सागर उपस्थित है। मैं शिक्षा एवं मनोरंजन का उत्तम साधन मानी जाती हूं। मेरे बिना शिक्षा ग्रहण करना संभव नहीं है, शिक्षा के क्षेत्र को मेरे बिना कल्पना कर पाना भी संभव नहीं है। मैं शिक्षक एवं शिष्य के बीच की डोरी हूं।

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केन्द्रीय विद्यालय दक्षिण कमान पुस्तकालय पुणेBy Sucheta Chandanshive