MicInkMusafir (Amitbhanu): Voices, Verses, & Voyages

हम भेष बदल के आयेंगे (Hindi Poem) by Amitbhanu


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हम भेष बदल के आयेंगे,

तुम फिर भी मुँह घूमा लेना,

हम साथ मुहब्बत लाएँगे,

तुम फिर भी हाथ छुड़ा लेना!

जब क़दम-क़दम पे ठोकर हो,

तो रस्ता कैसे पार करे,

जब दिल जज़्बात से ख़ाली हो,

तो अच्छा है इनकार करे!

हमने तो सजा ली महफ़िल भी,

अब तू आए या ना आए,

अब समा जले या परवाना,

हमने भी क़सम अब खा ली है!

किश्तों में कटेगी तन्हाई,

हम टुकड़ों में ही जी लेंगे,

अब जाम जफ़ा का घूँट-घूँट,

घुट-घुट के हम पी लेंगे!

तू दूर कहीं आबाद रहे,

पर हम आवाज़ लगाएँगे,

तू भले हमें पहचाने ना,

हम भेष बदल के आएँगे!

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