यह कविता विनोद कुमार शुक्ल द्वारा रची गयी है । इस कविता में कवि किसी व्यक्ति को जानने का हमारा जो रूढी होता है वह तोड़ देते हैं। किसी व्यक्ति को उनके नाम, जाति, पते, उम्र, से जानना नहीं उन के एहसासों या दर्दो से जानना है। दर्द और एहसास सबके एक जैसे होते है। उसे समझने वैयक्तिक रूप से जानने की ज़रूरत नहीं। उनकी मदद करने केलिए दर्द और एहसास समझना ही काफी हैं।