Iskcon में कहा जाता है - “केवल अनर्थ निवृत्ति के बाद ही भक्त रागानुगा भक्ति प्रारम्भ कर सकता है ।”
यह जानने के लिए कि यह सत्य है या नहीं, हमें जानना चाहिए - अनर्थ निवृत्ति किसे कहते हैं ?
अनर्थ निवृत्ति के उपरान्त ऐसा क्या होता है कि भक्त रागानुगा भक्ति का अधिकारी बनता है ?