
Sign up to save your podcasts
Or


ईशा उपनिषद, जो वेदों के ज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, मानव जीवन के सार और आत्मज्ञान की खोज को संबोधित करता है। इस उपनिषद के मंत्र 3 में, आनंदहीन और दुःखमय जीवन के मूल कारणों और उससे मुक्ति के मार्ग का वर्णन मिलता है।
मंत्र 3 कहता है:
"असुर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसावृताः।
तांस्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जनाः॥"
इस मंत्र का अर्थ है कि जो लोग अपने आत्मा का अनादर करते हैं या अपने आत्मा की हत्या करते हैं, वे अंधकारमय और सूर्यरहित लोकों में जाते हैं, जहाँ अज्ञानता है। यहाँ 'आत्महनन' का अर्थ है अपने वास्तविक स्वरूप, अपनी आत्मा से मुंह मोड़ना।
आनंदशून्य और दुःखमय जीवन का मूल कारण इस मंत्र के अनुसार अज्ञानता है - आत्मा की सच्ची प्रकृति से अनभिज्ञता। जब व्यक्ति बाहरी संसार में ही खुशी खोजता है और अपने आत्मिक स्वरूप को भूल जाता है, तो वह दुख और असंतोष का अनुभव करता है।
मुक्ति का मार्ग इस उपनिषद में स्व-अन्वेषण और आत्म-ज्ञान के माध्यम से सुझाया गया है। अपने आत्मा के साथ संबंध स्थापित करना, अपने आंतरिक स्व की गहराई में झांकना और ब्रह्मांडीय चेतना के साथ एकात्मता महसूस करना ही वास्तविक आनंद और दुःख से मुक्ति का मार्ग है
Support the show
All by the grace of Guru ji,
Brahmleen Sant Samvit Somgiri Ji Maharaj.
By Kamlesh Chandraईशा उपनिषद, जो वेदों के ज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, मानव जीवन के सार और आत्मज्ञान की खोज को संबोधित करता है। इस उपनिषद के मंत्र 3 में, आनंदहीन और दुःखमय जीवन के मूल कारणों और उससे मुक्ति के मार्ग का वर्णन मिलता है।
मंत्र 3 कहता है:
"असुर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसावृताः।
तांस्ते प्रेत्याभिगच्छन्ति ये के चात्महनो जनाः॥"
इस मंत्र का अर्थ है कि जो लोग अपने आत्मा का अनादर करते हैं या अपने आत्मा की हत्या करते हैं, वे अंधकारमय और सूर्यरहित लोकों में जाते हैं, जहाँ अज्ञानता है। यहाँ 'आत्महनन' का अर्थ है अपने वास्तविक स्वरूप, अपनी आत्मा से मुंह मोड़ना।
आनंदशून्य और दुःखमय जीवन का मूल कारण इस मंत्र के अनुसार अज्ञानता है - आत्मा की सच्ची प्रकृति से अनभिज्ञता। जब व्यक्ति बाहरी संसार में ही खुशी खोजता है और अपने आत्मिक स्वरूप को भूल जाता है, तो वह दुख और असंतोष का अनुभव करता है।
मुक्ति का मार्ग इस उपनिषद में स्व-अन्वेषण और आत्म-ज्ञान के माध्यम से सुझाया गया है। अपने आत्मा के साथ संबंध स्थापित करना, अपने आंतरिक स्व की गहराई में झांकना और ब्रह्मांडीय चेतना के साथ एकात्मता महसूस करना ही वास्तविक आनंद और दुःख से मुक्ति का मार्ग है
Support the show
All by the grace of Guru ji,
Brahmleen Sant Samvit Somgiri Ji Maharaj.