कल थी काशी, आज है बनारस

जगत गुरु दत्तात्रेय और राजा रघु, 24 गुरुओं की चर्चा


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नमस्कार! आप सभी का स्वागत है बनारसी सिंह के podcast में। कुछ सीखना है, याद रखना है और किसी रहस्य को जानना है तो सुने 'कल थी काशी आज है बनारस।' आज के episodes में आप सुनने जा रहे भगवान और अवधूत दत्तात्रेय की कहानी। जया किशोरी जी जो भगवान कृष्ण की लीला और भागवत कथा वाचक हैं, वो कहती हैं कि जब व्यास जी और वाल्मीकि जी या उनसे पहले puran लिखा जा रहा था तब इनको लिखने वालों को यानी ऋषि और मुनि और वेद व्यास जी, वाल्मीकि जी, स्कंद जी आदि को यह पता था कि कलियुग में मनुष्य ज्ञान का इच्छुक होगा लेकिन वो बैठ के धैर्य से उससे सुनेगा नहीं और सुनने की और समझने की उसने इच्छा की कमी भी होगी, इसलिए जीवन को अच्छे से जीने के लिए जो नियम और मूल्य हैं उनको किताब में लिखा गया तो कोई पड़ेगा नहीं। फिर रचनाकारों ने उन मूल्यों औऱ नियमो को कहानी ke माध्यम se लोगों ke बीच फैलाने ka विचार karke कहानी को जन्म दिया। कहानी का महत्व केवल भारतीय संस्कृति और सभ्यता में ही नहीं है, इसका महत्व चीन, जापान और कोरिया और अमरीका, ब्रिटेन, रूस हर देश की संस्कृति और सभ्यता से जुड़ा है। जैसे हमारा यानी manav ka चित्त यादों ka स्टोर रूम है जहां हमारे संस्कार, विचार aur भाव stor होते हैं, ठीक waise ही हर देश की संस्कृति और सभ्यता की कहानी/story ka store room ये किताबे हैं, ये कहानियां है, जहां मानव jivan ke हर एक समस्या का हल मिलता है। भागवत गीता दुनिया की सबसे बड़ी मोटिवेशन और प्रॉब्लम solving बुक और ज्ञान का केंद्र है जिसे भगवान कृष्ण ने दिया, अपने प्रिय मित्र अर्जुन को। aaj se 5000 saal pahle कहीं गई बाते aaj भी प्रासंगिक है और उपयोगी है। इसलिए पढ़ने का समय नहीं, तो सुनिए! क्या कहते है दुनिया को बनाने वाले और दुनिया में रहकर खुद का जीवन मानव के कल्याण में लगाने वाले युग पुरुष लोग। aadi गुरु शंकर, दत्तात्रेय, गुरु गोरखनाथ, ramkrish परमहंस और tailang स्वामी, lahari जी, kinaraam बाबा, तुलसीदास tailang स्वामी, kalpatri महराज अनेक विभूतियों ने भारत के इस काशी स्थान पर आकर जो पाया और जो दुनिया को सिखाया वही कहानियां आप तक लाने का छोटा सा प्रयास। एक मनुष्य सारा ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता एक जीवन में इतना ज्ञान भरा है इन भारतीय ग्रंथो और कहानियों में बस कुछ देर रुक कर सुनना है। आपको अपने कई समस्याओं का समाधान जरूर मिल सकता है, लेकिन रुकना, सुनना और सोचना औऱ कहानी का सार समझ कर aage तो आपको ही कर्म करना है। इसलिए जैसा चाणक्य कहते हैं अपने अनुभव से सीखने के लिए मानव जीवन काफी छोटा hai। चूंकि कलियुग का मनुष्य टेक्निकल है और अति बुद्धिमान है इसलिए उसे अन्य लोगों के अनुभव और जीवन की सीख से अपने लिए सफ़लता औऱ आनंद का मार्ग बनाना चाहिए। बस इसलिए पेश है आपकी सेवा में प्राचीन नगरी काशी की 1000 कहानियां। ताकि आप जान सके कि आप कितने लकी और भाग्यvaan हैं जो आपसे पहले इतने महान व्यक्तियों ने इस धरती पर जन्म और जीवन बिता कर आपके लिए अपना अनुभव और ज्ञान का भंडार छोड़ रखा है। बस चलते फिरते सुनो और समझो। क्या है जीवन। इसका उद्देश्य क्या है। मैं कौन हूं। क्यों आया हूं। सफ़लता क्या है, आनंद क्या है, खुशी क्या है दुःख क्या है? हर प्रश्न का उत्तर बस यही है। आपके भीतर। अपने भीतर जाओ और सुनो अपने अंदर के परम tatv को। ज्यादा हो गया। फिर कोई नहीं कहानी सुनो और सोचो इसमे क्या सीखने को मिला। जय siya राम!
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कल थी काशी, आज है बनारसBy Banarasi/singh